কবি পরিচিতি : সাহির লুধিয়ানভি একজন প্রসিদ্ধ কবি ও গীতিকার। তাঁর রচিত হিন্দি ও উর্দু গীত ও গজল হিন্দি চলচ্চিত্রে বহু জনপ্রিয়তা পায়। সাহির ৮ মার্চ ১৯২১ সালে পাঞ্জাবের লুধিয়ানায় জন্মগ্রহণ করেন। শব্দের জাদুকর সাহির লুধিয়ানভি প্রথম ফিল্ম ফেয়ার পুরস্কারে ভূষিত হন "তাজমহল" ( ১৯৬৩) এবং দ্বিতীয়বার "কভি কভি " ( ১৯৭৬ ) ফিল্মের গীতিকার হিসেবে। কবি পদ্ম শ্রী পুরস্কার পান ১৯৭১ সালে। এই শান্ত লাজুক চরিত্রের মানুষটির কলম ও কাব্যের মধ্যে দিয়েই করেছেন প্রেম বিরহ পূজা ও প্রার্থনার আত্ম বহিঃপ্রকাশ।
আজ তাঁর দুটি কবিতা আমি বাংলায় অনুবাদ করার চেষ্টা করলাম ।
दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ
दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ
याद रह जाएगी ये रात क़रीब आ जाओ
एक मुद्दत से तमन्ना थी तुम्हें छूने की
आज बस में नहीं जज़्बात क़रीब आ जाओ
सर्द झोंकों से भड़कते हैं बदन में शो'ले
जान ले लेगी ये बरसात क़रीब आ जाओ
इस क़दर हम से झिजकने की ज़रूरत क्या है
ज़िंदगी भर का है अब साथ क़रीब आ जाओ
দূরে থেকে আর কথা নয় কাছে এসো
দূরে থেকে আর কথা নয় ,কাছে এসো
স্মরণে রয়ে যাবে এ রাত ,কাছে এসো
বহু যুগের সুপ্ত ইচ্ছা তোমায় ছোঁয়ার
কাছে এসো,আজ আবেগ বশে নেই আর
হিমেল ঝড়ো হাওয়া শরীরে আগুন ধরায়
এই বৃষ্টি নেশা জাগায় , কাছে এসো এবার
এত আড়ষ্ঠতার কি বা কারণ তোমার
কাছে এসো,সাথী যে আমরা আজীবনের।
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है
जब तुम मुझे अपना कहते हो अपने पे ग़ुरूर आ जाता है
तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है
हम पास से तुम को क्या देखें तुम जब भी मुक़ाबिल होते हो
बेताब निगाहों के आगे पर्दा सा ज़रूर आ जाता है
जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़ खुला
मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊ'र आ जाता है।
মুখে খুশির ঢেউ আর চোখ ছেয়ে যায় নেশায়
মুখে খুশির ঢেউ আর চোখ ছেয়ে যায় নেশায়
যখন তুমি তোমার বলো আমায় গরবিনী হয়ে ওঠায়
তুমি তো নিজেই সুন্দরের মূর্ত প্রতীক তবু
তা তুমি জানোই না
তোমার উপস্থিতি প্রতি আসরের সবকিছুকে অমল আলোয় ভরায়
আমি কীকরে তোমায় খুব কাছ থেকে দেখি ,যখনই আমার মুখোমুখি হও
ব্যাকুলতা আমার দৃষ্টিতে এক পর্দা ঢেকে দেয়
তোমায় ভালোবাসতে গিয়েই এই গোপনীয়তা ভঙ্গ হলো
মৃত্যুর যোগ্যতা অর্জন করতে করতেই বাঁচার অভিলাষ জেগে উঠলো।
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